संघमित्रा गायकवाड जी की मातोश्री के पुण्यानुमोदन कार्यक्रम में शामिल होकर श्रद्धांजलि अर्पित करें
मुंबई / पुणे: आर.पी.आई. (अठावले गट) महाराष्ट्र राज्य की सचिव संगमित्रा गायकवाड जी की पूज्य मातोश्री का 4 नवंबर को वाकड (पुणे) में दुखद निधन हो गया।
उनकी पावन स्मृति में 16 नवंबर को तुरोरी, तालुका उमरगा, जिला धाराशिव स्थित उनके निवास स्थान पर पुण्यानुमोदन कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
इस अवसर पर परिवारजन, संबंधी, समाजसेवी और राजनीतिक सहयोगी एकत्र होकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे।
सभी शुभचिंतकों — पार्वती अभिमन्यु बेलमकर, शक्ति गुप्त, तुळशीराम शिल रत्न गायकवाड, संगमित्राताई श्रीपति गायकवाड, सत्यशील तुळशीराम गायकवाड, मायादेवी महेश काटे, वैशाली जयदेव रणदिवे सहित सभी परिजन, समर्थक और सामाजिक बंधुजनों से निवेदन है कि वे इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करें और परिवार को इस दुखद घड़ी में संबल प्रदान करें।
भामाबाई तुळशीराम गायकवाड ने अपने जीवन में अपार संघर्ष किया। लगभग 40 वर्ष पूर्व, पति तुळशीराम गायकवाड के निधन के पश्चात भी उन्होंने हार नहीं मानी।
उन्होंने अपनी चार बेटियों और तीन बेटों को पढ़ा-लिखा कर संस्कारित बनाया। आज उनका पूरा सात भाइ-बहनों का परिवार एक आदर्श, शिक्षित और संस्कारवान परिवार के रूप में समाज में पहचाना जाता है।
परिवार के सदस्य आज विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं — एम.डी., डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, एम.टेक, एम.बी.ए., उद्योगपति और शिक्षक के रूप में।
कई सदस्योंने इजिप्त, इंग्लैंड, छपरा (बिहार) और भारत के अन्य स्थानों पर उच्च शिक्षा प्राप्त की है।
इस परिवार में प्राचार्य, पूर्व नगरसेवक, किर्लोस्कर कंपनी के सुपरवाइज़र, पी.टी.ए. सदस्य, पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़ी हस्तियाँ तथा कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं।
उनकी बेटियाँ और दामाद दोनों ही उच्च शिक्षित हैं और समाजसेवा में सक्रिय योगदान दे रहे हैं।
भामाबाई गायकवाड का जीवन संघर्ष, त्याग और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। उनका परिवार आज इस बात का जीवंत प्रमाण है कि संघर्ष और शिक्षा के बल पर कोई भी परिवार सम्मान और प्रेरणा का प्रतीक बन सकता है।
गौतम बुद्ध के चरणों में प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति मिले और परिवार को इस दुख से उबरने की शक्ति प्राप्त हो।
नमो बुद्धाय * जय भीम *


संघमित्रा गायकवाड जी की मातोश्री के पुण्यानुमोदन कार्यक्रम में शामिल होकर श्रद्धांजलि अर्पित करें